A motivational piece from....
Abhivyakti...Ek Kavya Sankalan - "हिम्मत-अफ़्ज़ाई !"
इन से कब कुछ हुआ है… आँसुओं को तो थाम लो
नाकामियों की छोड़ फ़िक़्र, सिर्फ़ हौसले से काम लो !
तक़दीर कोई दुश्मन नहीं कि हमेशा रहेगी ख़िलाफ़
ख़फ़ा सही, माशूक़ ही है, वही दर्जा, वही मक़ाम दो !
थक गए हो अगर चलके, दम लो, थोड़ा रुक जाओ
ख़ुद को एक जाम... और क़दमों को ज़रा आराम दो !
कोशिशें मुसलसल हैँ अगर, ख़्वाब अधूरे रहेंगे क्यों ?
मंज़िल चलके क़रीब आएगी, तुम अगरचे ठान लो !
हमराह अगर मिले कोई, दुःख-सुख बांटो, साथ चलो
वगरना अपने इस सफ़र को... ख़ुद-ब-ख़ुद अंजाम दो !
हिम्मत-अफ़्ज़ाई: हौसला बढ़ाना; मुसलसल: लगातार; वगरना: वर्ना