ज़माना ख़राब है...


सब्र रखो अगर दिल में इंक़िलाब मचलता है

ज़माना भी आख़िर एक ज़माने में बदलता है


तब्दीलियाँ कहीं किताबों में ही सिमट गई हैं

नौजवान ख़ून भी अब मुश्किल से उबलता है


आबो-हवा इस दौर की कुछ ऐसी हो चली है

हर शख़्स अब एक-दूसरे से बच के चलता है


शाम होने से पहले रात हो जाती है इन दिनों

ख़बर ही नहीं होती सूरज किस वक़्त ढलता है


ज़माना ख़राब है... कुछ एहतियात बरता करो

हर एक आस्तीन में कोई सांप ज़रूर पलता है


इंक़िलाब: क्रांति; तब्दीली: बदलाव; आब-ओ-हवा: माहौल; एहतियात: सावधानी

आस्तीन: कुर्ते या कोट का अग्र भाग जो बाँह को छिपाता है

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